क्यों फिर रखते दरकार बाती दिया बिन बेकार क्यों फिर रखते दरकार बाती दिया बिन बेकार
रह -रह के मुठियाँ जोश से भर रहीं है क्रोध बड़ा, मत इतना ताप दो। रह -रह के मुठियाँ जोश से भर रहीं है क्रोध बड़ा, मत इतना ताप दो।
रखने दो सर मुझे अपने शाने पे , थोड़ा सा मुझे आराम दो , नहीं चाहिए मुझे तोहफे़ तुम्हा रखने दो सर मुझे अपने शाने पे , थोड़ा सा मुझे आराम दो , नहीं चाहिए मुझे तो...
फिर धकेला जाता है जीव जीने के लिए यहां से वहाँ दो दरवाजे पर। फिर धकेला जाता है जीव जीने के लिए यहां से वहाँ दो दरवाजे पर।
दो बूँद दो बूँद
ये हसीँ बरसात की घड़ी दो घड़ी, प्यार की सौगात की घड़ी दो घड़ी। ये हसीँ बरसात की घड़ी दो घड़ी, प्यार की सौगात की घड़ी दो घड़ी।